Malana village: वैसे तो हमारे देश का अपना एक कानून है। लेकिन हमारे देश में एक पहाड़ी गांव ऐसा भी है जहा का अपना कानून है। जहा के लोग बाहर से आये हुए लोगो को अपने गांव की एक भी दीवार छूने नही देते है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसको हजारो का फाइन देना पड़ता है। उसके बाद ये गांव वाले बकरी की बलि देकर अपने गांव की दीवारो को पवित्र करते है।
हम जिस गांव की बात कर रहे है वो कुल्लू वैली के नॉर्थ –ईस्ट में है। गांव का नाम है मलाणा। जी हा वही मलाणा जिसकी मलाणा क्रीम यानि कि मारिजुआना दुनिया भर में काफी फेमस है। इस लेख में हम आपको इस गांव के ऐसे रहस्यो के बारे में बताने वाले है जिसके बारे में आपने पहले नही सुना होगा।

इस गांव के लोग खुद को आर्यन नस्ल का मानते है
Malana village में रहने वाले लोगो की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहा रहने वाले लोग बाहर से आने वाले लोगो को खुद से कमतर मानते है। इस गांव में रहने वाले लोगो का मानना है कि वो आर्यन नस्ल के लोग है।
यही वजह है कि ये लोग बाहर से आने वाले लोगो से ना हाथ मिलाते है और ना ही उन्हे अपने घरो में आने देते है। इन लोगो ने अपने घरो की दीवारो पर भी ऐसे बोर्ड लगा रखे है कि इन दीवारो को ना छुये,छुने पर इतने का फाइन देना पड़ेगा।
मलाणा गांव में होती है जमलू ऋषि की पूजा
मलाणा गांव में रहने वाले लोग काफी अध्यात्मिक होते है। ये लोग जमलू ऋषि की पूजा करते है। इस गांव के सेन्टर में एक मन्दिर है जहा बाहरी लोगो का जाना मना है।
पौराणिक कथाओ के अनुसार जमलू ऋषि भगवान परशुराम के पिता थे। जमलू ऋषि की पत्नी का मन्दिर भी इसी गांव में है। इस मन्दिर में भी सिर्फ पुजारी लोगो का जाना होता है।
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Malana village का अपना एक अलग कानून है
देश को भले ही आजाद हुए 75 साल से ज्यादा हो गये हो लेकिन इस इस गांव में भारत का सविधान आज तक लागू नही हुआ है। यहा के लोगो का अपना अलग कानून है। ये अपने आपसी झगड़ो को खुद की पचांयत के जरिये ही साल्व करते है। यहा 11 मेबर्स की एक काउंसिल होती है। जिसमे एक मुखिया होता है।
अन्तिम फैसला मुखिया का ही होता है। इसके बाद भी अगर समस्या का समाधान नही होता तो केस जमलू देवता के पास चला जाता है। जमलू देवता के पास केस सॉल्व करने का प्रोसेस ये होता है कि दोनो पक्षो को दो बकरे लाने पड़ते है। इन बकरो के पैर पर चीरा लगाकर एक जहर दिया जाता है। जिस पक्ष का बकरा पहले मर जाता है। वो केस हार जाता है।

इस गांव में इस तरह की अदालत पिछले कई सालो से चल रही है लेकिन अब कुछ पढे लिखे और समझदार लोगो इस तरह के फैसलो का विरोध करने लगे है। पिछले कुछ सालो से इस गांव के लोगो के मामले देश की अदालतो में भी जाने लगे है।
Malana village के लोगो का इतिहास क्या है
इस गांव के इतिहास को लेकर काफी कहानिया है। कुछ लोग मानते है कि यहा सिकन्दर की सेना के बचे हुए लोगो वशंज रहते है। वही एक मान्यता के अनुसार यहा के लोग आर्यन्स के वंशज है। इसके अलावा इस गांव के लोगो की एक कहानी ये भी है कि जब अकबर बीमार था तो मलाणा के लोगो ने ही उसको ठीक किया था। इस बात से अकबर इतना खुश हुआ कि उसने इस गांव के लोगो को टैक्स फ्री कर दिया। इस लिए इस गांव में आज भी अकबर की पूजा होती है।
Malana village के लोगो की भाषा क्या है
मलाणा गांव में रहने वाले लोग कनाशी भाषा बोलते है। कनाशाी भाषा सस्कृत और तिब्बती का मिला जुला रूप है। यहा लोगो हिन्दी बोलने में भी सहज नजर आते है
Malana village का गांजा दुनिया भर में मशहूर है
हिमाचल प्रदेश का ये गांव एक चीज के लिए दुनिया भर में फेमस है और वो है यहा का गांजा। गांजे का नशा करने वाले इस गांव को काफी अच्छे तरीके से जानते है। यहा के गांजे के मलाणा क्रीम कहा जाता है। इस गांव का गांजा इतना ज्यादा खास है कि 1994 और 1996 में हाई टाइम्स मैगजीन कैनबिज कप यहा के गांजे को बेस्ट गांजे का खिताब दे चुकी है। यही वजह है कि इस गांव में सबसे ज्यादा इसी गांजे की खेती की जाती है। गांव के लोगो का रोजी रोजगार का साधन भी यही है।
कैसे पहुंचें Malana village
By Road : अगर आप रोड के जरिये मलाणा गांव जाना चाहते है तो हम आपको बता दे कि आपको पहले कुल्लू जाना पड़ेगा। कुल्लू से मलाला की दूरी तकरीबन 45 किलोमीटर है। कुल्लू से तकरीबन 8 किलोमीटर जाने पर पहले जरी नाम की एक जगह पड़ती है। जरी से मलाला तक की दूरी तकरीबन 16 किलोमीटर है। यहा से रास्ता काफी खतरनाक हो जाता है। यहा से कुछ दूरी चलने के बाद एक पक्की सड़क है।
लेकिन एक्पर्ट ड्राइवर ही इस सड़क पर ड्राइव कर सकते है। आपको बता दे कि हिमाचल रोडवेज की सिर्फ एक ही बस मलाणा जाती है, जो कुल्लू से शाम 3 बजे चलती है। अगले दिन सुबह यही बस कुल्लू जाती है। दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़, शिमला, जालंधर, लुधियाना और पठानकोट से कुल्लू के लिए रेगुलर बसें हैं।
ट्रैकिंग भी करनी पड़ेगी : मलाणा बस स्टॉप पहुंचकर आपको अपनी गाड़ी यहीं छोड़नी पड़ेगी। यहां कोई पार्किंग नहीं है। आपको अपने रिस्क पर गाड़ी छोड़नी पड़ेगी। इसके बाद 3-4 किलोमीटर के थकाने वाले ट्रैक के बाद मलाणा गांव आता है।
By Train – कुल्लू का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर है। यहां से इसकी दूरी 123 किलोमीटर है। जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन मीटर गेज लाइन पर बना है। पठानकोट से यहां के लिए हर दिन ट्रेन हैं। जोगिंदर नगर से हिमाचल प्रदेश रोडवेज की बस या प्राइवेट टैक्सी से कुल्लू पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा दिल्ली, अमृतसर, जालंधर, अंबाला, मुंबई जैसे बड़े शहरों से चंडीगढ़ तक ट्रेन के जरिए पहुंचा जा सकता है। चंडीगढ़ से कुल्लू का रोड डिस्टेंस 270 किमी है।

My name is Ishat Zaidi and I am a travel blogger. Travelling is in my nature. I have travelled a lot in my life so far. During my travels, I am always in search of a new story. Apart from travelling, I am also very fond of writing stories and poems. I think that travelling is very important in life because when you travel around the world, you come across many lives. This also gives you a chance to understand your life. The more you travel, the more you will understand yourself and this world.