Kawad Yatra ki puri jankari, हिन्दू धर्म में कॉवड़ यात्रा का अपना ही महत्व है। जब भी कॉवड़ यात्रा शुरू होती है। सड़को पर कावडियो का एक हुजूम दिखाई देने लगता है। इस साल की कावड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है। कॉवड़ यात्रा में लोग भगवान शिव की पूजा करते है। इस यात्रा को लेकर ऐसी मान्यता है कि कॉवड यात्रा करने से जीवन में सुख और शान्ति आती है।
कॉवड़ यात्रा का जिक्र हिन्दु पौराणिक कथाओ में मिलता है। पुरानी पौराणिक कथाओ के अनुसार कॉवड़ यात्रा की शुरूआत सबसे पहले भगवान शिव के परम भक्त परशुराम ने की थी। इसको लेकर एक मान्यता ये भी है कि श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए कांवड़ में बैठाकर उन्हें हरिद्वार लाया था। लौटते समय वे गंगाजल लेकर आए और उसी जल से उन्होंने भोलेनाथ का अभिषेक किया।
वैसे तो कॉवड़ यात्रा आप लोगो ने कई बार देखी होगी। मगर क्या आपको मालुम है कॉवड़ यात्रा में भी कावडियो को कई नियमो का पालन करना होता है। वैसे तो कॉवड यात्रा को पैदा ही करना चाहिए। मगर आजकल लोग गाडियो पर चलकर कावड़ यात्रा करते है। अगर आपको कॉवड यात्रा और कॉवडियो के बारे में डिटेल में जानना है तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े। इस लेख में हम आपको कॉवड़ यात्रा के बारे में डिटेल में बताने वाले है।

Kawad Yatra ki puri jankari
1. खड़ी कॉवड़ यात्रा
खड़ी कांवड़ यात्रा सामान्य यात्रा से थोड़ी मुश्किल होती है। इसलिए इसका चुनाव सोच समझकर ही करना चाहिए। क्योंकि इस कांवड़ यात्रा में लगातार चलना होता है। इसमें एक कांवड़ के साथ दो से तीन कांवड़ियों होते हैं। जब कोई एक थक जाता है, तो दूसरा कांवड़ लेकर चलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यात्रा में कांवड़ को नीचे जमीन पर नहीं रखते। इसी कारण इसे खड़ी कांवड़ यात्रा कहते हैं।
2- डाक कांवड़
इस तरह की यात्रा खड़ी कॉवड़ यात्रा से काफी मुश्किल है। अगर आप इस तरह की कॉवड़ करना चाहते है तो आपको बहुत ही ज्यादा मजबूत होना चाहिए। इस कॉवड़ यात्रा के दौरान आपको कॉवड़ को अपनी पीठ पर ढोकर चलना पड़ता। इस कावड़ यात्रा मे लोग बिहार से सुल्तानगंज से देवघर जाते है। ये काम उन्हे 24 घन्टे के अंदर करना पड़ता है। ऐसा ना करने पर ये कॉवड़ यात्रा अधूरी रह जाती है। यही वजह है कि इस कावड यात्रा के लिए रोड को खाली कर दिया जाता है।
3. दंड प्रणाम कॉवड़ यात्रा
ये सबसे मुश्किल कावड़ यात्रा है। ये इतनी ज्यादा कठिन कॉवड़ यात्रा है जिसे करने में कई हफ्ते लग जाते है। इस कॉवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त गंगा घाट से शिव मंदिर तक दंडवत प्रणाम करते हुए चलते है। इसमे भक्तो को जमीन पर लेटकर अपनी हाथाें सहित कुल लंबाई को मापते हुए आगे बढ़ता है। इसमें चाहे, तो यात्री आराम कर सकते हैं और चाहें तो लगातार चल सकते हैं। उनकी मदद के लिए एक व्यक्ति साथ जरूर रहता है।
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My name is Ishat Zaidi and I am a travel blogger. Travelling is in my nature. I have travelled a lot in my life so far. During my travels, I am always in search of a new story. Apart from travelling, I am also very fond of writing stories and poems. I think that travelling is very important in life because when you travel around the world, you come across many lives. This also gives you a chance to understand your life. The more you travel, the more you will understand yourself and this world.